आपका संकल्प, हमारा संकल्प
आपका सपना, हमारा सपना
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अधिकरण प्रकाशन रचनाकारों के सपनों का प्रतिफलित बुनकर है…जो प्रत्येक रचनाकारों के वैचारिकी, संवेदना, चिंतन और उनके उद्दात भावनाओं का आयना है। प्रकाशन की हर सम्भव कोशिश यह रहती है कि लेखकों, कवियों, चिंतकों और मनीषियों के विचारों-भावनाओं को, जो उनके द्वारा शब्दों में अभिव्यक्त हो चुका है, उन्हें हम पाठकों के हाथों तक पहुँचाकर चेतनागत क्रांति का प्रतिमान गढ़ने और साहित्यिक धारा का प्रतीक बनाने का प्रयास करें।
हमारी पहल होती है कि रचनाकारों के सार्थक सृजन को अपने प्रकाशन द्वारा उच्चस्तरीय प्रिंट और तकनीक के माध्यम से उन्हें गुणवत्तापूर्ण रंग और आकार देकर साहित्यिक कला, शैली, शिल्प और भाषा जगत को समृद्ध कर उन्हें हम प्रभावित कर सकें। तब हम उनके लेखन कार्य को अपने प्रकाशन के जरिए उनके तमाम उद्देश्यों को गति प्रदान करना ही हमारी प्रतिबद्धता है और कटिबद्धता भी। बस हम आपका एक संवाहक होना या बनना चाहते हैं। शब्दों और भाषा की दुनिया को युग के अनुरूप उन्नत करना ही हमारी प्राथमिकता है…ऐसे उन्नत और बौद्धिक चेतना का आधार-स्तम्भ या सोपान का नाम होता है- प्रकाशक या प्रकाशन ।
भाषा के सौन्दर्य और उन्मेष के बीजों का अंकुरण आपके द्वारा होता रहे और रचनाकारों की जिजीविषा को हम जनमानस से जोड़ते रहें, ताकी वैचारिक क्रांति की संवेदना की किरणें अक्षरशः साहित्य जगत में विकिरित होता रहे। हम केवल परस्पर में ऐसे आधार बनकर जिंदा रहें और भाषा संसार को जीवित रखें। ऐसे ही संवाहक की भूमिका का नाम है-अधिकरण प्रकाशन।
प्रकाशक वही सफल और सार्थक होता है, जो जन-जन की अभिलाषा पर खरा उतर सके और लेखकों, कवियों या रचनाशीलधर्मियों के बीच एक मजबूत कड़ी बनकर साहित्य एवं संस्कृति की रक्षा कर सकें। आधुनिक युग में जहाँ पुस्तक छपाई एक व्यापार का रूप ग्रहण कर चुका है, वहाँ हम व्यवहार और एक साहित्यिक अटूट रिश्ता भी रचनाकारों से सदैव कायम रखना चाहते हैं। ऐसे ही नवाचार की स्थापना और नवोन्मेष के ध्येय का नाम है-अधिकरण प्रकाशन। ‘नयी रचना नये विचार, अक्षर-अक्षर आंखदार’।
आज नवयुग के इस दौर में जहाँ भारतीय भाषा-साहित्य और कलमकारों के बीच एक मूलभूत समस्या है-पुस्तक विक्रय की, भाषागत रोजगार-रोटी की, जो सुरसाके मुँह की भांति सब के सामने है। यही कारण है कि भारतीय प्रत्येक भाषा साहित्य की इस समस्या का सामना सभी भाषाओं को करना पड़ रहा है। खासकर हिंदी भाषा साहित्य की यह मूलभूत समस्या है। फिर भी प्रकाशक और लेखक इन समस्याओं से टकराते आगे बढते रहें हैं। जहाँ आज भी समाज, पाठक और देश ऐसे माहौल में वैचारिक नवाचार की मांग भी करते रहें हैं। ऐसी उम्मीद भाषा साहित्य के लिय ज़रूरी है। हम इसी कामना और उद्देश्य की पूर्ति की मंशा से कहानी, कविता, प्रबंध काव्य, महाकाव्य, उपन्यास, नाटक, संस्मरण, यात्रा-वृतांत, आलोचना साहित्य एवं प्रबंध शोध साहित्य जैसी अन्यान्य विधाओं के साथ कृषि, विज्ञान, चिकित्सा, तकनीक, दर्शन साहित्य, अध्यात्म साहित्य, खेल साहित्य, फिल्म, राजनीति और आयुर्वेद साहित्य आदि विभिन्न विषयों के पुस्तक प्रकाशन का स्वागत अधिकरण प्रकाशन करता है।
मनीष कुमार सिन्हा के नेतृत्व में अधिकरण प्रकाशन की यह अनथक यात्रा आपके सहयोग से जारी है। हम प्रकाशन की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और उपादेयता जैसे उच्चादर्श के साथ उच्च स्तरीय छपाई, मुद्रणतंत्र, पुस्तक वितरण प्रणाली और विपणनतंत्र जैसी मनोनुकुल सुविधा प्रदान करने का आश्वासन देते हैं। साथ ही हर प्रकार की सुविधा प्रदान करना प्रकाशन अपना कर्तव्य समझता है। हम ऐसे ही संकल्प की ओर सदैव अग्रसर हैं और विश्वसनीयपूर्णकार्य की ओर बढता हुआ एक सकारात्मक कदम भी।
इस महाकुंभ में अब तक सैकड़ों रचनाकारों एवं कलमकारों ने कन्धा से कन्धा मिलाकर अपनी आहूति देते हुए प्रकाशन को एक मुकाम प्रदान किया है। हम तमाम लेखकों और उनके पाठकों के प्रति आभार प्रकट करते हैं और उन्हें प्रकाशन की ओर से आश्वत करते हैं कि हम सदैव गुणवत्तापूर्ण एवं उच्चस्तरीय सेवा प्रदान करते रहेंगे। अतः आप प्रकाशन की सेवा पर पूर्ण भरोसा रखें। आपकी प्रतिष्ठा ही हमारी प्रतिष्ठा। आपका संकल्प ही हमारा संकल्प। आपकी सफलता ही हमारी सफलता। आपका सपना ही हमारा सपना।
-अधिकरण प्रकाशन
प्रकाशक–मनीष कुमार सिन्हा
संपर्क : मकान संख्या-19, भूतल, खसरा नम्बर-65,
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